स्त्री सैन्य शक्ति: रानी झाँसी रेजीमेंट की रणनीतिक भूमिका का विश्लेषण
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Abstract
भारत के स्वतंत्र राष्ट्र बनने की संघर्षपूर्ण यात्रा में देश और विदेश - दोनों ही मोर्चों से साझा प्रयास किए गए। विशेष रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित क्रांतिकारी संगठनों और प्रवासी भारतीयों ने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक समानांतर स्वतंत्रता आंदोलन को जन्म दिया। जापान, थाईलैंड, मलेशिया और जर्मनी जैसे देशों में बने गुप्त सैन्य अड्डों ने इस संघर्ष को धार दी। राष्ट्रवादी नेता रास बिहारी बोस ने जापान में आजाद हिंद फौज (प्छ।) की नींव रखी। इसके बाद भारतीय स्वतंत्रता लीग (प्प्स्) और विशेष रूप से महिला सैनिकों की रेजिमेंट - रानी लक्ष्मीबाई रेजिमेंट (त्श्रत्) - का गठन हुआ। यह शोध-पत्र उन रणियों के योगदान को रेखांकित करता है जिन्होंने देशभक्ति और साहस का परिचय देते हुए पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
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