पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीतियों एवं सांस्कृतिक मूल्यों का समकालीन भारत पर प्रभाव
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Abstract
पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय चिंतन परंपरा के एक अद्वितीय विचारक थे, जिनकी आर्थिक नीतियाँ और सांस्कृतिक मूल्य आज भी समकालीन भारत के नीति-निर्माण और सामाजिक संरचना को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं। उनका ‘एकात्म मानवदर्शन’ का सिद्धांत व्यक्ति, समाज और राष्ट्र के बीच संतुलन स्थापित करने पर बल देता है। उपाध्याय ने आर्थिक विकास को केवल भौतिक उन्नति नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक विकास के साथ जोड़कर देखा। उनके अनुसार भारत का आर्थिक मॉडल भारतीय समाज की सांस्कृतिक विरासत, ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था, और स्वदेशी भावना पर आधारित होना चाहिए।
वर्तमान में भारत की आर्थिक नीतियों जैसे ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ तथा ‘सांस्कृतिक पुनरुत्थान’ की विभिन्न पहलियों में उनके विचारों की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। इस शोध पत्र में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विचारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है तथा यह विश्लेषण किया गया है कि उनके सिद्धांत किस प्रकार आज के भारत में नीतियों और सामाजिक व्यवहार को आकार दे रहे हैं। इस शोध पत्र का उद्देश्य भारतीय चिंतनधारा में उपाध्याय के योगदान की पुनर्पुष्टि करना तथा समकालीन परिप्रेक्ष्य में उनके विचारों की प्रासंगिकता को उजागर करना है।
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