किशोरावस्था में आत्म-अवधारणा, आत्म-सम्मान और व्यवहारिक विकारों का तुलनात्मक अध्ययन

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Km. Komal, Dr. Neeru Verma

Abstract

यह शोध किशोरावस्था में आत्म-अवधारणा, आत्म-सम्मान और व्यवहारिक विकारों के आपसी संबंधों का तुलनात्मक अध्ययन करने के उद्देश्य से किया गया। किशोरावस्था वह संवेदनशील काल है जब शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक परिवर्तन तीव्र रूप से होते हैं। इस अध्ययन में 13 से 18 वर्ष आयु वर्ग के 300 किशोरों को शामिल किया गया, जिसमें लिंग और क्षेत्रीय पृष्ठभूमि के आधार पर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया। शोध में मुख्य उपकरणों के रूप में आत्म-अवधारणा मापन पैमाना, रोसेनबर्ग आत्म-सम्मान स्केल और व्यवहारिक विकार सूची का उपयोग किया गया। आंकड़ों का विश्लेषण औसत, मानक विचलन, ज-परीक्षण, ।छव्ट। और सहसंबंध तकनीकों द्वारा किया गया। परिणामों से यह स्पष्ट हुआ कि उच्च आत्म-अवधारणा और आत्म-सम्मान वाले किशोर अधिक आत्मविश्वासी, सामाजिक रूप से समायोजित और व्यवहारिक विकारों से मुक्त पाए गए। लिंग के आधार पर लड़कियों का आत्म-सम्मान थोड़ा अधिक था, जबकि लड़कों में व्यवहारिक विकार अधिक देखे गए। क्षेत्रीय तुलना में शहरी किशोरों की आत्म-अवधारणा और आत्म-सम्मान ग्रामीण किशोरों की तुलना में उच्च पाई गई। सहसंबंध विश्लेषण ने पुष्टि की कि आत्म-अवधारणा और आत्म-सम्मान के उच्च स्तर का नकारात्मक प्रभाव व्यवहारिक विकारों पर पड़ता है। अंततः यह शोध किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक समायोजन को बेहतर बनाने में आत्म-अवधारणा और आत्म-सम्मान के महत्व को उजागर करता है। इसके निष्कर्ष अभिभावकों, शिक्षकों और परामर्शदाताओं के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं कि किशोरों में सकारात्मक आत्म-छवि और आत्म-सम्मान विकसित करना उनके समग्र विकास और व्यवहारिक विकारों की रोकथाम के लिए आवश्यक है।

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How to Cite
Km. Komal, Dr. Neeru Verma. (2025). किशोरावस्था में आत्म-अवधारणा, आत्म-सम्मान और व्यवहारिक विकारों का तुलनात्मक अध्ययन . International Journal of Advanced Research and Multidisciplinary Trends (IJARMT), 2(3), 812–821. Retrieved from https://ijarmt.com/index.php/j/article/view/525
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