हिंदी लोकगीतों की परंपरा, महत्व और संरक्षण प्रयास
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हिंदी लोकगीत भारतीय समाज की सांस्कृतिक चेतना का अभिन्न अंग हैं, जो पीढ़ियों से मौखिक परंपरा के रूप में संरक्षित होते आए हैं। ये गीत न केवल मनोरंजन का साधन रहे हैं, बल्कि सामाजिक, धार्मिक और पारिवारिक जीवन की गहराइयों को भी व्यक्त करते हैं। विवाह, जन्म, ऋतु-परिवर्तन, त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों पर गाए जाने वाले लोकगीत सामूहिक जीवन के उल्लास और भावनात्मक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम रहे हैं। इनमें जीवन के सुख-दुख, संघर्ष और आशाओं का सजीव चित्रण मिलता है, जिससे वे समाज की जीवंत धरोहर के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं।
लोकगीतों का महत्व इस बात से भी स्पष्ट होता है कि इनमें स्थानीय बोलियों, रीति-रिवाजों और मान्यताओं का सहज समावेश होता है। इनकी सरल भाषा और लयबद्धता जनमानस को गहराई से जोड़ती है। परंतु आधुनिकता, शहरीकरण और तकनीकी प्रभावों के कारण लोकगीतों की परंपरा संकटग्रस्त होती जा रही है। युवा पीढ़ी का झुकाव फिल्मी और पाश्चात्य संगीत की ओर अधिक होने से लोकगीत धीरे-धीरे हाशिए पर पहुँच रहे हैं।
संरक्षण के लिए आवश्यक है कि लोकगीतों का संकलन, लिप्यंतरण और डिजिटलीकरण किया जाए। शैक्षणिक संस्थानों, सांस्कृतिक संगठनों और सरकारी प्रयासों से इन्हें पुनर्जीवित किया जा सकता है। लोकगीत केवल अतीत की धरोहर नहीं हैं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की सांस्कृतिक पहचान को भी मजबूत बनाने वाले साधन हैं।
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